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KMC Election: कोलकाता में सियासी सरगर्मियों के बीच TMC विकास की रणनीति कर रही तेज

Kolkata Politics West Bengal

कोलकाता:  दिसंबर माह में ही कोलकाता नगर निगम के चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव की बात होते ही शहर कोलकाता में सियासी सरगर्मियां तेज हो गयी हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर इस बार के निगम चुनाव पर पड़ने की पूरी संभावना है। तृणमूल ने उम्मीदवारों के नामों को लेकर मंथन भी शुरू किया है।

तृणमुल पार्टी के वरिष्ठ नेता की माने तो ​छह सालों के कार्य को देखते हुए कार्ड बना है वह टिकट की तालिका तैयार करने की मजबूत कड़ी होगी। जिनसे जनता खुश उन्हें पार्टी देगी मौका। पार्टी सूत्रों की माने तो पार्टी उन पार्षदों को भी मौका देगी जिनके काम से जनता खुश है।पार्टी की नीति के अनुसार, तृणमूल की प्राथमिकता साधारण लोगों के हित में उनके साथ खड़ा रहना है।

कोलकाता के नगर निगम चुनाव में विधायकों को भी मौका मिलता आया है। इस बार भी उन्हें मौका मिल सकता हैं। अतिन घोष, देवाशिष कुमार और देवव्रत मजुमदार य तीन विधायक हैं जो कोलकाता नगर निगम में मेयर परिषद के सदस्य भी रहे थे। तीनों का ही प्रदर्शन पार्षद के तौर पर अच्छा रहा है। इसी तरह अन्य विधायकों में भी कुछ ऐसे विधायक हैं जो अपने इलाके में काफी अहम माने जाते हैं। इस बार पार्टी अपने फायदे को देखते हुए निगम चुनाव में भी उतार सकती है।

तृणमूल के एक नेता की मानें तो पार्टी की सबसे महत्वपूर्ण नीति ‘एक नेता एक पद’ को इस चुनाव में भी तवज्जो दिया जाएगा। दरअसल, कोलकाता नगर निगम के मौजूदा बोर्ड में कुछ ऐसे नेता भी हैं जो दो पद पर हैं। मसलन मेयर रह चुके मंत्री फिरहाद हकीम, मेयर परिषद के सदस्य रह चुके अतिन घोष, देवाशिष कुमार और देवव्रत मजुमदार जो विधायक हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई और जिम्मेदारी नहीं दी गयी है।

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