नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पश्चिम बंगाल सरकार पर 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर बंगाल सरकार पर यह भारी जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कथित रूप से प्रबंधन नहीं करने के चलते जुर्माना भरने को कहा है।
एनजीटी पैनल ने कहा कि राज्य सरकार सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की स्थापना को प्राथमिकता नहीं दे रही है। हालांकि, राज्य के 2022-2023 के बजट के अनुसार शहरी विकास और नगरपालिका मामलों पर 12,818.99 करोड़ रुपये का प्रावधान है। यह देखते हुए कि स्वास्थ्य के मुद्दों को लंबे भविष्य के लिए टाला नहीं जा सकता।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करना राज्य और स्थानीय निकायों की संवैधानिक जिम्मेदारी है। पीठ ने कहा कि दो मदों (ठोस और तरल अपशिष्ट) के तहत मुआवजे की अंतिम राशि 3,500 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसे पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दो महीने के भीतर अलग खाते में जमा किया जा सकता है।
साथ ही, एनजीटी ने कहा कि यदि उल्लंघन जारी रहता है, तो अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान करने की जिम्मेदारी पर विचार करना पड़ सकता है। पीठ ने कहा कि हमारा माननाहै कि लंबे समय से न्यायाधिकरण द्वारा मुद्दों की पहचान और निगरानी की गई है। यह उचित समय है कि राज्य कानून और नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्य को समझे और अपने स्तर पर आगे की निगरानी को अपनाए। साथ ही, पीठ ने कहा कि यह निर्देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों के अनुपालन की निगरानी के दौरान आए हैं।