सीमा सुरक्षा बल 59वां स्थापना दिवस मना रहा है

Forces International

कोलकाता : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) आज अपना 59वां स्थापना दिवस मना रहा है। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1 दिसंबर, 1965 को स्थापित, बीएसएफ ने भारत की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1965 के युद्ध के बाद, भारतीय सीमाओं पर घुसपैठ, तस्करी और सैन्य आक्रमण के कारण एक विशेष बल की आवश्यकता स्पष्ट हो गयी थी।

तब एक संसदीय प्रस्ताव के माध्यम से बीएसएफ का गठन किया गया था। प्रारंभ में सीमा सरक्षा बल में विभिन्न राज्य सशस्त्र पुलिस बटालियनों के कर्मी शामिल थे, अब सीमा सरक्षा बल में लगभग 2.65 लाख कर्मी कार्यरत हैं, बीएसएफ में 193 नियमित बटालियन, 4 एनडीआरएफ बटालियन, 7 तोपखाने की इकाइयां, 8 वाटर विंग और 1 एयर विंग शामिल हैं।


अपनी स्थापना के बाद से ही बीएसएफ ने भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और विभिन्न स्थितियों के दौरान नागरिक प्रशासन में सहायता प्रदान की है। एक बहुआयामी संगठन के रूप में विकसित होकर, बीएसएफ ने पारंपरिक सीमा सुरक्षा से परे चुनौतियों को स्वीकार किया और सीमा प्रबंधन नए आयाम स्थापित किये ।

दक्षिण बंगाल सीमांत का सामरिक महत्व:

दक्षिण बंगाल सीमांत, बीएसएफ के दायरे में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में से एक है, जो बांग्लादेश के साथ कुल 4,096 किलोमीटर में से 913 किलोमीटर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा सुरक्षित करता है। जिसमें 364 किलोमीटर नदीय सीमा, चारलैंड का विशाल क्षेत्र शामिल है । दक्षिण में बंगाल की खाड़ी से लेकर मालदा जिले के उत्तरी भाग तक फैली यह सीमा सुंदरबन सहित विविध भौगोलिक विशेषताओं को शामिल करती है। दक्षिण बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा देश की सबसे चुनौतीपूर्ण सीमाओं में से एक है। सीमा बहुत जटिल है क्योंकि यहां जनसंख्या सीमा के दोनों ओर आसपास रहती है और उनमें समान जातीय और सांस्कृतिक समानताएं भी हैं।

  1. इस वर्ष दक्षिण बंगाल सीमान्त को अवैध घुसपैठ रोकने के प्रयासों में मिली बड़ी सफलता, भारत बांग्लादेश सीमा पर अवैध घुसपैठ को किया नगण्य।

दक्षिण बंगाल सीमांत के जवानों ने भारत-बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हर वर्ष के भांति विशेष सतर्कता व चौकसी रखने के साथ साथ घुसपैठियों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए अवैध घुसपैठ को काफी कम करने में सफलता हासिल की है I हालाँकि दक्षिण बंगाल सीमान्त का अधिकतर इलाका बिना तारबंदी वाला है और इसके 60 से अधिक गांव अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे हुए है जो की अवैध घुसपैठ होने में सहायक है। बिना तारबंदी ओर नदीय इलाकों में नई तकनीक इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस फॉर वल्नरेबल पैचेज(ESVP) की परियोजना के तहत सीसीटीवी कैमरा, पीटीजेड कैमरा, ड्रोन सर्विलांस से लैस करते हुए निगरानी को और मजबूत किया है जिसके व्यापक परिणाम देखने को मिले है परिणामस्वरूप इस वर्ष बीएसएफ ने अवैध घुसपैठ को काफी हद तक कम कर दिया है ।

अवैध घुसपैठ के विरुद्ध निरंतर कदम:

वर्ष 2023 में, दक्षिण बंगाल सीमांत की विभिन्न वाहिनियों ने अवैध घुसपैठियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए 1596 अवैध घुसपैठीये जिसमें 1220 बांग्लादेशी और 376 भारतीय घुसपैठियों को पकड़ा है। जिनमे 46 दलाल भी शामिल है। दक्षिण बंगाल सीमांत द्वारा शुरू की गई अद्वितीय एएचटीयू टीमों इस साल चलाये गए रेस्क्यू में 2 बांग्लादेशी तथा 1 भारतीय महिला को मानव तस्करो के चुंगल से छुड़वाया। इन मानव तस्करों को रोकने का श्रेय दक्षिण बंगाल सीमा द्वारा शुरू की गई एएचटीयू टीमों को जाता है। इन टीमों ने, सीमावर्ती क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से, स्थानीय निवासियों को सशक्त बनाया है, जिससे घुसपैठियों तथा मानव तस्करों के लिए बॉर्डर इलाके में अपनी गतिविधियाँ जारी रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

  1. बीएसएफ के दक्षिण बंगाल सीमान्त ने इस वर्ष 92 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड तोड़ 153 किलोग्राम सोना जब्त।

दक्षिण बंगाल सीमा पर बीएसएफ जवान सोने के तस्करों से एक कदम आगे रहते हुए किसी भी अवैध गतिविधियों और तस्करी के उभरते नए तरीकों को विफल कर रहे हैं। उनका सक्रिय दृष्टिकोण और गहरी समझ उन्हें तस्करों के किसी भी प्रयास को तेजी से नाकाम करने में माहिर बनाती है। वर्ष 2023 में बीएसएफ के जवानों का 153 किलोग्राम सोना जिसका मूल्य 92 करोड़ से अधिक है को जब्त करना, उनकी लगातार सफलता को दर्शाता है।

सोने की तस्करी करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई:

चालू वर्ष में, दक्षिण बंगाल सीमा पर विभिन्न वाहिनियों ने सोने के तस्करों के खिलाफ महत्वपूर्ण कार्रवाई की है, जिसके परिणामस्वरूप 92 करोड़ रुपये मूल्य का 153 किलोग्राम सोना पकड़ा गया है। दक्षिण बंगाल सीमांत में खुफिया विभाग से लगातार मिल रही खुफिया सूचनाओं ने तस्करों के लिए नई रणनीति अपनाना चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

भारत बांग्लादेश सीमा पर सोने के तस्कर नए हथकंडे अपनाते है जिन्हे दक्षिण बंगाल सीमान्त के जवानों ने अपनी कुशलता से विफल करने में कामयाबी हासिल की है। वर्ष 2023 जवानों ने सोने के तस्करी के 87 मामले को पकड़ने में सफलता पाई है जिसमे सोने को तारबंदी के ऊपर से फेंकना, शरीर के अंदुरनी भाग में छिपा कर, विभिन्न वाहनों के कैविटी में छुपा कर लाना, चप्पलों/ जूतों में छिपाना, खेती में उपयोग होने वाले औज़ारों में छुपाना मुख्या रूप से शामिल है। अभी हाल में जवानों ने सोने को पेस्ट के रूप में परिवर्तित कर तस्करी के कई प्रयासों को भी विफल किया है।

  1. दक्षिण बंगाल सीमान्त ने मादक पदार्थों की तस्करी पर लगाया अंकुश, तस्करो के हौसले पस्त कर इस साल करोड़ो की ड्रग्स जब्त की।

बीएसएफ जवानों के अथक प्रयासों से इस वर्ष नशीले पदार्थों की तस्करी पर प्रभावी अंकुश लगा है, जिससे यह निम्नतर स्तर पर आ गई है। बीएसएफ कर्मियों की अटूट प्रतिबद्धता और निरंतर प्रयासों ने मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे इस मुद्दे पर मजबूत पकड़ बनी हुई है। इस वर्ष के दौरान, दक्षिण बंगाल सीमांत की विभिन्न इकाइयों ने 2.47 करोड़ मूल्य की 1,21,189 बोतल फेंसिडिल, 1562.62 किलोग्राम गांजा और 36 लाख मूल्य की 7,221 याबा टैबलेट जब्त की हैं। इस वर्ष दक्षिण बंगाल सीमांत बॉर्डर एरिया में कुल 641 तस्करों को पकड़ने में सफलता हासिल की है, इनमे 183 बांग्लादेशी तथा 458 भारतीय तस्कर है।

  1. मैत्री मुकाबले व सवांद- बीएसएफ और बीजीबी द्वारा सीमाओं पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने, क्षेत्रीय स्थिरता व आपसी सहयोग के लिए मील का पत्थर।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) प्रभावी सीमा प्रबंधन के लिए आधारशिला के रूप में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने के महत्वपूर्ण महत्व को स्वीकार करता है। सीमा सुरक्षा के इन स्तंभों के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग की खोज में, बीएसएफ ने विभिन्न उपाय किए हैं।

उच्च स्तरीय संवाद:

वर्ष 2023 के दौरान, बीएसएफ और बीजीबी ने उच्च स्तरीय चर्चाओं की एक श्रृंखला आयोजित की, जिसमें एक महानिरीक्षक (आईजी) स्तर की बैठक, पांच सेक्टर कमांडर स्तर की बैठकें और पंद्रह बटालियन कमांडर स्तर की बैठकें शामिल थीं। ये बातचीत सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए दोनों सीमा सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच सहयोग और समन्वय का वर्तमान स्तर अपने चरम पर है।

क्रिकेट और वॉलीबॉल मैच से भाईचारा बढ़ा:

चल रही श्रृंखला के एक भाग के रूप में ब्रह्मनगर सीमा चौकी पर एक मैत्री क्रिकेट मैच हुआ। इस मैच ने न केवल खेल भावना को प्रदर्शित किया, बल्कि दोनों बलों के कर्मियों को बातचीत करने और सौहार्द बनाने के लिए एक अनौपचारिक सेटिंग भी प्रदान की।

इसके अतिरिक्त, विभिन्न सीमा चौकियों पर तीन मैत्री वॉलीबॉल मैच आयोजित किए गए, जिनमें बांग्लादेश में दर्शना, भारत में रणघाट और पीसबारी शामिल हैं। ये मैच मैत्रीपूर्ण खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से बीएसएफ और बीजीबी के बीच संबंधों को मजबूत करने के साधन के रूप में काम करते हैं।

क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना:

बीएसएफ और बीजीबी द्वारा किए गए सहयोगात्मक उपाय न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी अभिन्न हैं। सहयोग और संचार की संस्कृति को बढ़ावा देकर, दोनों सेनाएँ एक स्थिर और सुरक्षित सीमा क्षेत्र में योगदान करती हैं।

  1. समग्र सशक्तिकरण: सीमावर्ती सामुदायिक कल्याण के लिए दक्षिण बंगाल सीमांत के बहुआयामी दृष्टिकोण ने बदली सीमावर्ती गांवो की तस्वीर।

दक्षिण बंगाल सीमान्त, सीमा सुरक्षा बल ने सीमावर्ती निवासियों की भलाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तहत चिकित्सा देखभाल, बुनियादी ढांचे के विकास, मानव संसाधन वृद्धि, कौशल विकास और नागरिक कार्यक्रमों पर केंद्रित गतिविधियों की एक श्रृंखला आयोजित की। इस वर्ष में, कुल 16 गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिससे 6254 सीमावर्ती निवासियों को लाभ हुआ और विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 1,33,76,000/- रुपये की आवश्यक वस्तुएं वितरित की गईं।

सीमा भ्रमण कार्यक्रम:

सीमा सुरक्षा बल और स्थानीय समुदाय के बीच की खाई को पाटने के अपने प्रयासों के तहत, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने छात्रों के लिए सीमा दर्शन कार्यक्रम शुरू किया। यह कार्यक्रम छात्रों को एक सीमा पर जवान के जीवन के बारे में जानकारी के साथ साथ हथियारों का प्रदर्शन, आईसीपी पेट्रापोल में रिट्रीट समारोह देखने बारे में है। इसके अतिरिक्त, छात्रों को समग्र सीमा चौकी कल्याणी का दौरा करने का अवसर दिया जाता है । इस वर्ष कुल 5686 छात्रों ने सीमा भ्रमण कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और सीमा पर्यावरण का बहुमूल्य ज्ञान और प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया।

शिक्षा और एक्सपोज़र के माध्यम से सशक्तीकरण:

सीमा दर्शन कार्यक्रम की शुरुआत सीमा बलों और स्थानीय समुदाय के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। छात्रों को सीमा सुरक्षा कर्मियों के जीवन और जिम्मेदारियों से अवगत कराकर कार्यक्रम युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व और सीमाओं की सुरक्षा करने वालों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में प्रेरित और शिक्षित करना चाहता है।

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