कोलकाता : जनजातीय समुदाय की मातृभाषा संथाली शिक्षा व्यवस्था में भेदभाव को लेकर बुधवार को विरोध प्रदर्शन शुरू हुए हैं। हजारों की संख्या में जनजातीय समुदाय के लोगों ने पश्चिम मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा में सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया है।
भारत जकात माझी परगना महल के आह्वान पर 12 घंटे के लिए आहुत आंदोलन की वजह से चारों जिले में फिलहाल यातायात व्यवस्था लगभग पूरी तरह से बाधित हो गई है। बाजार दुकान बंद हैं और सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही रोक दी गई हैं। बुधवार सुबह 6:00 बजे से ही इनका आंदोलन शुरू हुआ है जो शाम 6:00 बजे तक चलने वाला है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों की मांग है कि संथाली भाषा के लिए जनजातीय समुदाय बहुलता वाले स्कूलों में स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति हो, वॉलिंटियर्स शिक्षकों को पार्श्व शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जाए, प्रत्येक जिले में संथाली माध्यम के कॉलेजों की स्थापना हो, संथाली स्कूलों में विषय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति और सटीक समय पर पाठ्य पुस्तकों का वितरण हो, इसके अलावा साधु राम चंद्र मुर्मू विश्वविद्यालय में अविलंब संथाली माध्यम में स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स चालू करने की मांग की जा रही है। इसी विश्वविद्यालय में संथाली नृत्य और गीत को शुरू करने की भी मांग की गई है।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे रायसेन हांसदा ने कहा कि वर्ष 2008 से संथाली माध्यम में पठन-पाठन की शुरुआत हुई है लेकिन आज तक कोई पृथक संथाली शिक्षा बोर्ड नहीं है। कोई इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है। कहीं स्कूल संथाली भाषा को समर्पित नहीं है। कई जगहों पर शिक्षक नहीं हैं। इसीलिए राज्य भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं ताकि सरकार हमारी मांगों को पूरा कर सकें।
एक और नेता विप्लव सोरेन ने कहा कि हमने अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रशासन को पत्र लिखा। यहां तक कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी अपना ज्ञापन सौंपा है लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा।
केवल बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन हमारी बेहतरी के लिए जमीन पर सकारात्मक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसलिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो आने वाले समय में और भी व्यापक आंदोलन होगा।