कोलकाता : भारतीय तटरक्षक बल यानी कोस्ट गार्ड के उत्तर- पूर्व क्षेत्र के कमांडर आइजी इकबाल सिंह चौहान ने बताया कि तटरक्षक देश के समुद्री हितों व लंबी तटरेखा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि समुद्र के रास्ते चाहे वह देश में आतंकवादियों के घुसपैठ का प्रयास हो या प्रतिबंधित सामान या नशीले पदार्थों की तस्करी का, समुद्री मोर्चे पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तटरक्षक बल हमेशा तैयार है।
कोस्ट गार्ड के 47वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह के खिदिरपुर डाक पर आइसीजी जहाज विजया पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चौहान ने पिछली उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया के चौथे सबसे बड़े तटरक्षक बल के रूप में आइसीजी ने देश के समुद्री क्षेत्रों में भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि समुद्र में 24 घंटे निगरानी की वजह से तस्करों का प्रवेश करना लगभग असंभव बना दिया गया है और पिछले साल मादक पदार्थों की तस्करी की कई बड़ी घटनाओं को विफल किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि कोस्ट गार्ड की तत्परता के चलते बीते दो सालों में भारतीय समुद्री सीमा में किसी आपदा या संकट के बावजूद कोई भी जनहानि नहीं हुई।
एक साल में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 596 लोगों की बचाई जान
उन्होंने कहा कि तटरक्षक बल चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय में खोज और बचाव अभियान भी चलाता है, ने पिछले एक साल में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 596 लोगों की जान बचाई है। उन्होंने ने आगे कहा कि समुद्री बल के बांग्लादेश समकक्षों के साथ भी बहुत अच्छे संबंध हैं और भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा क्षेत्रों में निरंतर गश्त और निगरानी की जाती है।
उन्होंने कहा- खतरे हमेशा रहेंगे, लेकिन हम इससे निपटने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि एक आइसीजी जहाज हमेशा बंगाल की खाड़ी में भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा पर तैनात रहता है और दो-तीन डोर्नियर विमान समुद्र में आवाजाही पर नजर रखने के लिए लगातार क्षेत्र में गश्त करते हैं।
दो सालों में भारतीय समुद्री सीमा में नहीं गई किसी की जान
चौहान ने कहा कि हाल के वर्षों में आइसीजी के बेड़े में कई तेज गश्ती जहाजों के शामिल होने से आपरेशन में काफी मदद मिल रही है और निगरानी मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा में मछुआरा समुदाय हमारी आंखों और कानों के रूप में काम करते हैं और हमने इस उद्देश्य के लिए उनके और तटरक्षक बल के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित किया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्वोत्तर क्षेत्र में समुद्री मार्गों से रोहिंग्या शरणार्थियों की किसी भी आवाजाही का पता चला है, चौहान ने कहा कि बोर्डिंग आपरेशन से नावों में उनकी मौजूदगी का पता नहीं चला है। चौहान ने कहा कि आइसीजी के पास कोलकाता में तीन डोर्नियर गश्ती विमान हैं, जबकि भुवनेश्वर में चार नए उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) हैं। उन्होंने कहा कि आइसीजी के उत्तर- पूर्व सीबोर्ड में और विमान शामिल करने की योजना है।