भारतीय पटसन निगम लिमिटेड-कच्चे जूट और मेस्ता के लिए फसल वर्ष 2023-24 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य

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कोलकाता : भारतीय पटसन निगम लिमिटेड (जेसीआई) की स्थापना वर्ष 1971 में देश के जूट किसानों की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से की गई थी। इस वर्ष संगठन ने राष्ट्र की सेवा में 52 गौरवशाली वर्ष पूरे किये हैं। जब भी जूट का बाजार मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी से नीचे आता है तो जेसीआई का प्राथमिक कार्य जूट किसानों को एमएसपी सहायता प्रदान करना होता है। पिछले 52 वर्षों में जेसीआई जूट किसानों के साथ खड़ा रहा है, और संकटपूर्ण बिक्री से बचाया है।

इस वर्ष जेसीआई ने अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करते हुए 5.5 लाख क्विंटल से अधिक कच्चे जूट की खरीद की है। किसानों की मदद के लिए एमएसपी खरीद अभी भी जारी है और यह पिछले 5 वर्षों की अवधि में एक वर्ष में की गई सबसे अधिक खरीद है।


1 जुलाई 2023 से शुरू होने वाले आगामी फसल वर्ष 2023-24 के लिए, भारत सरकार ने टीडी3 (मध्यम ग्रेड) के आधार पर एमएसपी दर 5050 रुपये प्रति क्विंटल घोषित की है और जूट आयुक्त कार्यालय ने फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई ’23 से जून’24) के लिए किस्म और ग्रेड के अनुसार एमएसपी दरों की घोषणा की।

1 जुलाई से लागू संशोधित दरें यहां दी गई हैं:
जेसीआई देश के जूट किसानों की व्यापक जागरूकता के लिए उपरोक्त एमएसपी दरों का व्यापक प्रचार-प्रसार करता है, जैसे सभी जूट उत्पादक राज्यों के संबंधित प्रशासनिक निकायों को सूचित करना, लाउड स्पीकर से घोषणा करना और जूट उत्पादक गांवों में और उसके आसपास पत्रक वितरण करना। इसके अलावा जेसीआई के खरीद केंद्रों, प्रेस अधिसूचनाओं और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भी किसान भाई को सुचित किया जाता है।

जेसीआई ने खुद को केवल एमएसपी संचालन के अपने प्राथमिक अधिदेश तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि हमेशा जूट उद्योग को समर्थन देने के नए तरीके खोजता रहा है। कच्चे जूट की गुणवत्ता में सुधार और जूट उत्पादन की मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई, जिससे किसानों के साथ-साथ जूट उद्योग को भी लाभ मिलेगा।

जेसीआई को राष्ट्रीय जूट बोर्ड द्वारा वित्त पोषित और अग्रणी कृषि अनुसंधान संस्थानों – ICAR-CRIJAF और ICAR-NINFET द्वारा सहायता प्राप्त JUTE-ICARE (Improved Cultivation Advanced Retting Exercise) परियोजना को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।


JUTE-ICARE परियोजना अपने नौवें वर्ष में 9वें चरण में है और 3.5 लाख से अधिक किसानों को लाभ प्रदान कर रहा है। JUTE-ICARE ने राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) के सहयोग से एक भू-स्थानिक फसल निगरानी  प्रणाली शुरू की है, ताकि पैन इंडिया आधार पर जूट क्षेत्रों को कवर किया जा सके, ताकि खेती योग्य भूमि का सटीक पता लगाया जा सके और जूट उत्पादन और उत्पादकता का अनुमान लगाया जा सके।

जूट की खेती को आधुनिक बनाने के दृष्टिकोण के साथ, जेसीआई का इरादा ब्लॉक चेन तकनीक की शुरुआत और कच्चे जूट बाजार के खरीदारों और विक्रेताओं के लिए ई-नीलामी मंच प्रदान करके जूट आपूर्ति श्रृंखला को आधुनिक बनाने का भी है।

ऐसी दुनिया में जहां वैश्विक समुदाय प्लास्टिक मुक्त वातावरण की ओर देख रहा है, जूट एक आकर्षक, पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करता है। विविध जूट उत्पादों के युग की शुरुआत हो रही है। जेसीआई ने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और SHGS, WSHGS, छोटे उद्यमियों और जूट विविध उत्पादों का निर्माण करने वाली सहकारी समितियों को विकसित करने में मदद करने के दोहरे उद्देश्य से जूट विविध उत्पादों के उपयोग को बढ़ाने का बीड़ा उठाया है।

जेसीआई सोशल मीडिया में विज्ञापनों के माध्यम से और देश के अग्रणी संस्थानों, सीपीएसई क्षेत्र और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सीधे संचार के माध्यम से जेडीपी के उपयोग के प्रति उत्साह और जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रहा है।

जेसीआई जूट कृषक समुदाय की सेवा के लिए अपने निरंतर प्रयासों को जारी रखने के लिए तैयार है और हमारे महान राष्ट्र के विकास में सकारात्मक योगदान देने के लिए वचनबद्ध है।

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