कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शनिवार को राज्य की 73 हजार से अधिक सीटों पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान होंगे। इसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं। हाईकोर्ट के आदेश अनुसार केंद्रीय बलों और राज्य बलों की निगरानी में चुनाव होने हैं। सेंट्रल फोर्स के करीब 83 हजार जवान बंगाल में हैं ।
प्रत्येक मतदान केंद्र पर इनकी तैनाती होनी है। इन बलों के साथ 19 राज्यों की सशस्त्र पुलिस बंगाल आई है जिन्हें चुनावी ड्यूटी सौंपा गया है। शुक्रवार रात से ही मतदान कर्मी राज्य भर के मतदान केंद्रों पर पहुंच गए हैं और बैलेट पेपर की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
22 जिला परिषदों, 9,730 पंचायत समितियों और 63,229 ग्राम पंचायतों की सीटों के लिए मतदान होना है। करीब 5.67 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
चुनावों की घोषणा के दिन से ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में व्यापक हिंसा की खबरें आईं, जिसमें एक किशोर सहित 20 लोगों की मौत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व किया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व किया, जबकि राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने अपनी पार्टियों के संबंधित चुनाव अभियान का नेतृत्व किया है।
उत्तर और दक्षिण 24 परगना के कुछ हिस्सों में अपनी सीमित उपस्थिति के साथ इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) ने भी सुर्खियां बटोरीं क्योंकि इसके नेता और एकमात्र विधायक नौसाद सिद्दीकी ने पार्टी के अभियान का नेतृत्व किया।
पहली बार, राजभवन ने चुनावी हिंसा के मुद्दे को संबोधित करने में सक्रिय भूमिका निभाई। राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने आम आदमी की शिकायतों के समाधान के लिए राजभवन में ‘शांति गृह‘ खोला है।
राज्यपाल डॉ सी वी आनंद बोस पीड़ितों और उनके परिवारों को सांत्वना देने के लिए हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में गए, जिसे भाजपा की ओर से सराहना और सत्तारूढ़ तृणमूल की आलोचना का सामना करना पड़ा है।
सत्तर के दशक के अंत में बंगाल में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत के बाद से दूसरी बार ग्राम परिषदों के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए केंद्रीय बलों की निगरानी में इस तरह से चुनाव हो रहे है।