कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शनिवार को पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। राज्य की 73 हजार 887 सीटों के लिए दो लाख से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं। चुनाव प्रचार का शोर भी गुरुवार शाम 5:00 बजे के बाद थम गया है। अब मतदान का इंतजार हो रहा है लेकिन इसी बीच केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर एक बड़ी जटिलता सामने आई है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य के प्रत्येक मतदान केंद्र पर कम से कम दो केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है। उसी के मुताबिक चुनाव आयोग तैयारी भी कर रहा है। आयोग ने तो यह भी कोशिश की कि कम से कम केंद्रीय बल के एक जवान को एक मतदान केंद्र पर रखा जाए लेकिन इसके लिए सेंट्रल फोर्स के कोऑर्डिनेटर तैयार नहीं हो रहे हैं।
गुरुवार रात राज्य चुनाव आयोग के दफ्तर में बीएसएफ के आईजी जो केंद्रीय बलों की तैनाती के कोऑर्डिनेटर हैं, उन्होंने चुनाव आयुक्त के साथ डेढ़ घंटे तक बैठक की है। इसके बाद उनकी ओर से एक पत्र केंद्रीय गृह मंत्री को भेजा गया है। इसमें लिखा गया है कि केंद्रीय बलों की तैनाती के प्रोटोकॉल के मुताबिक कम से कम एक सेक्शन जवानों की तैनाती होती है।
एक सेक्शन का मतलब है कम से कम एक 11 जवानों की तैनाती। एक जगह अगर कहीं-कहीं हाफ सेक्शन की भी तैनाती हो तब भी कम से कम चार जवानों की तैनाती होती है। केंद्रीय बलों के जवानों की सुरक्षा और उनकी जान पर किसी भी तरह के खतरे के समय बचाव के लिए बेहद जरूरी है।
पत्र में कोऑर्डिनेटर ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल में जिस तरह की स्थिति है उसमें मतदान के दौरान मतदान केंद्रों पर कब्जा, छप्पा वोटिंग और हमले की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में एक या दो जवानों की तैनाती प्रोटोकॉल के बिल्कुल विपरीत होगी और जवानों की जान पर खतरा रहेगा।
अपने पत्र में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे में मतदान केंद्रों पर कम संख्या में जवानों की तैनाती सुरक्षित नहीं है। शनिवार को ही मतदान होना है और उसके पहले शुक्रवार तक तैनाती को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से संशय के बादल छाए हुए हैं।
राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा से इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश अनुसार राज्य में 82 हजार केंद्रीय बलों की तैनाती हुई है। हालांकि जितनी अधिक संख्या में मतदान केंद्र हैं उसे देखते हुए कम से कम दो दो जवानों की भी तैनाती की जाए तब भी केंद्रीय बलों की संख्या कम पड़ जाएगी।
ऐसे में राज्य सरकार ने पहले से ही पश्चिम बंगाल के अलावा 19 राज्यों की सशस्त्र पुलिस को भी चुनावी ड्यूटी के लिए बुलाया है। हालांकि विपक्ष केंद्रीय बलों के अलावा किसी और पर भरोसा नहीं कर रहा। ऐसे में शनिवार को किसी प्रकार हिंसा मुक्त मतदान होगा और मतदाताओं के मन में सुरक्षा की भावना कैसे जगेगी यह देखने वाली बात होगी।