Digital and Social मीडिया को जल्द से जल्द मिले मान्यता : वरिष्ठ पत्रकार सीताराम अग्रवाल

Kolkata National West Bengal

कोलकाता: वरिष्ठ पत्रकार सीताराम अग्रवाल ने यहां IJA (Independent Journalist Association) के एक कार्यक्रम में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को सरकारी मान्यता देने की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि अब प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (बड़े व मध्यम समूह ) के मुकाबले डिजिटल व सोशल मीडिया ने एक महत्वपूर्ण जगह बना ली है। समाचारों की विश्वसनीयता के मामले में भी इसकी साख बढ़ती जा रही है, क्योंकि इससे शहरों के कोने-कोने के अलावा सुदूर गांवों की होनहार  व मेहनतकश पीढ़ी इससे जुड़ती जा रही है।

अत: आज वक्त की मांग है कि ऐसे लोगों तथा उनके डिजिटल मीडिया को सरकारी मान्यता मिले, ताकि ये लोग देश व समाज की सेवा करने के लिए अपना काम और भी सुचारू रूप से कर सके तथा उसकी रोजी- रोटी की व्यवस्था भी ठीक से हो सके। श्री अग्रवाल ने कहा कि पत्रकारिता का देश प्रेम व सामाजिक सरोकार से हमेशा गहरा रिश्ता रहा है। बस समय- समय पर इसका रूप बदलता रहा है। आजादी के पहले कहा जाता था – जब तोप मुकाबिल हो, अखबार निकालो। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रवेश हुआ और अब सबके हाथ में मोबाइल होने के कारण डिजिटल व सोशल मीडिया प्रभावशाली होता जा रहा है।

उन्होंने याद दिलाया जब टीवी आया तो सिनेमा के बड़े-बड़े कलाकार, निर्माता, निर्देशक इसे हिकारत से देखते थे और मजाक उड़ाया करते थे। आज हालात यह है कि बड़े- बड़े बजट वाली फिल्मों का प्रोमोशन टीवी के छोटे पर्दे पर हो रहा है। ठीक उसी तरह आजकाल बड़े-बड़े मीडिया हाउस अपने समाचार पत्रों को डिजिटल मीडिया के विभिन्न ग्रुपों में डालने लगे हैं, जहां आप मुफ्त मे ये अखबार पढ़ने सकते हैं, क्योंकि किसी भी रूप में पाठकों तक पहुँचना तथा चर्चा में बने रहना इनकी मजबूरी है।

किसी भी पत्रकार सम्मेलन या किसी भी छोटे-बड़े कार्यक्रमों में हाथों में बूम लिए डिजिटल मीडिया के पत्रकारों व छायाकारों को काफी संख्या में देखा जा सकता है। यही नहीं घटना-दुर्घटना को दर्शकों तक तत्काल पहुंचाने में इनकी भूमिका बेजोड़ है। यह मीडिया खबरों या किसी घटना का विश्लेषण भी बेबाकी से कर पाता है, क्योंकि बड़े हाउसों की तरह इसके सामने विज्ञापन की उतनी मजबूरी नहीं होती। पर सरकारी मान्यता न होने के कारण कई बार इन्हें बड़े सरकारी कार्यक्रमों में जाने का अवसर  नहीं मिलता।

कुछ सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिल पाती। वरिष्ठ पत्रकार  ने कहा- माना कि इसमें शुरू में ऐसा करने में कुछ तकनीकी दिक्कत आ सकती है, पर इसके कुछ नियम- कानून बना कर उन कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है। अतः अब यह आवश्यक हो गया है कि इन्हें मान्यता देने के प्रश्न पर केन्द व राज्य सरकारें गंभीरतापूर्वक विचार करे।

सीताराम अग्रवाल ने साथ ही उन लोगों को सचेत भी किया, जो डिजिटल व सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर इसकी साख को धक्का पहुंचाते हैं। एसोसिएशन का यह कार्यक्रम (वार्षिक राज्य सम्मेलन 2022) गत 30 जुलाई को प्रेस क्लब कोलकाता में हुआ था, जिसमें ” Success of Digital & Social Media ” विचार- विमर्श किया गया। एसोसिएशन के महासचिव ने संगठन के विविध पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला और कहा कि संकट के समय गरीब व असहाय पत्रकारों की सहायता करना हमारा मुख्य लक्ष्य है।

अध्यक्ष श्यामलेन्दु मित्र ने अपने दीर्घकालिक पत्रकारिता जीवन के अनुभवों के आधार पर बताया कि पत्रकारों को कितना जोखिम उठाकर अपने कर्तव्य का पालन करना पड़ता है। राज्य विधानसभा में उप मुख्य सचेतक तापस राय ने कहा कि यह सही बात है कि डिजिटल व सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ रहा है, पर प्रिंट मीडिया का भी महत्व बरकरार रहेगा। वरिष्ठ पत्रकार प्रसून आचार्य, काजी गुलाम सिद्दिकी, सुभाशीष चटर्जी वगैरह ने अपने विचार व्यक्त किये।  सहायक सचिव आरिफुल इस्लाम ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। इस अवसर पर काफी संख्या में पत्रकारों के अलावा कईं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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