BSF ने पहली बार महिला जवानों को किया तैनात
कोलकाता : बंगाल के दुर्गम सुंदरवन इलाके में बांग्लादेश के साथ लगती काफी बड़ी और लंबी जलीय सीमा की सुरक्षा में अब BSF की महिला प्रहरी भी नजर आएंगी। BSF के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने पहली बार सुंदरवन के इस दलदली वाले और चारों तरफ विशाल घने जंगलों एवं नदियों से घिरे इस दुर्गम इलाके से गुजरने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए महिला सशक्तीकरण की प्रतीक महिला प्रहरियों को तैनात किया है।
फ्लोटिंग बीओपी की पूरी जिम्मेदारी महिला प्रहरियों के जिम्मे
बीएसएफ की माने तो इस क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने के लिए कुछ माह पहले तैनात किए गए बीएसएफ के छह नए फ्लोटिंग बीओपी (पानी में तैरते सीमा चौकी) में से एक ‘बीओपी गंगा से सुरक्षा की जिम्मेदारी अब पूरी तरह महिला जवानों के कंधों पर सौंपी गई है।
चारों तरफ घने जंगलों और नदियों से घिरा सुंदरवन
लिहाजा इस बीओपी से सीमा सुरक्षा का मोर्चा अब महिलाओं ने संभाला है और वह लड़ाकू भूमिका में स्वतंत्र रूप से नजर आएंगी। दो दिन पहले एक कार्यक्रम में महिलाओं को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी अमरीश कुमार आर्य के अनुसार, बीएसएफ के इतिहास में यह पहली बार है जब सुंदरवन जैसे कठिन क्षेत्र में एक फ्लोटिंग बीओपी के संचालन एवं सीमा पेट्रोलिंग के लिए महिला जवानों को तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल महिला जवानों के एक प्लाटून (टुकड़ी) को यहां तैनात किया गया है, जिसमें 15 से 20 जवान होते हैं।
सुंदरवन की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तर व दक्षिण 24 परगना जिले में भारत और बांग्लादेश की सीमा के बीच सैकड़ों किलोमीटर में फैले सुंदरवन क्षेत्र की सुरक्षा बेहद ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस क्षेत्र से मवेशियों व मादक पदार्थों की तस्करी एवं घुसपैठ बड़ी समस्या रही है। घने जंगल और चारों ओर पानी से घिरे इस इलाके में स्थायी चौकी की बजाय बड़े जहाज को फ्लोटिंग बीओपी में तब्दील कर BSF चौबीसों घंटे निगरानी करती है। इस इलाके में रायमंगल और इच्छामती जैसे कई नदियों के बीच से दोनों देशों की सीमा गुजरती है, ऐसे में बहुत कठिन होता है इन इलाकों में ड्यूटी करना।