कोलकाता: सेना ने अपनी हवाई रक्षा को मजबूत करने के लिए पहली बार मिसाइल रेजिमेंट गठित की है, जो पूर्वी कमान के क्षेत्र में स्थापित की गई है। पूर्वी कमान का मुख्यालय कोलकाता में ही है। सेना के लिए बनाई गई मध्यम रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली पहली मिसाइल MRSAM को ईस्टर्न कमांड में शामिल कर लिया गया है।
MRSAM वेपन सिस्टम को डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है। सेना के पूर्वी कमान के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर इसके बारे में जानकारी दी। MRSAM मिसाइल सिस्टम को ‘Abhra’ हथियार प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है। सेना की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, अत्याधुनिक मध्यम श्रेणी की वायु रक्षा हथियार प्रणाली है। इसे DRDO ने इजराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने मिलकर बनाया है। इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
पहली बार गठित हुई भारतीय सेना में मिसाइल रेजिमेंट
पूर्वी कमान के कमांडर (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने गुरुवार को एमआरएसएएम रेजिमेंट की पहली यात्रा के दौरान कहा, रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की दिशा में इतनी बड़ी छलांग के साथ भारत जल्द ही आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय उद्देश्य के अनुरूप रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर हो जाएगा। बता दें कि बीते साल 27 मार्च को ओडिशा के बालासोर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था।
मिनटों में ध्वस्त होगा टारगेट
परीक्षण के दौरान मिसाइल ने पूरी सटीकता के साथ टारगेट को कुछ ही मिनट में ध्वस्त कर दिया था। MRSAM की रेंज आधा किलोमीटर से लेकर 100 किलोमीटर तक हैं। एक बार छोड़े जाने के बाद यह आसमान में सीधे 16 किलोमीटर तक के लक्ष्य को गिरा सकती है। यह बैलिस्टिक मिसाइलों, लड़ाकू जेट विमानों, विमानों, ड्रोन, निगरानी विमानों और एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम विमानों को मार गिराने में सक्षम है।